क्या करोगे-kya karoge-best hindi Ghazal by ℕ 𝕂𝕦𝕞𝕒𝕣
इस अभागे भाग का फिर क्या करोगे?
तुम ये उजड़े बाग का फिर क्या करोगे?
लग गया है जो कलंक इंसानियत पर,
तुम बताओ दाग का फिर क्या करोगे?
दाग धोकर साबुने खुद घुल चुकी है,
तुम अकेली झाग का फिर क्या करोगे?
पालते हो जिसको तन का क्षीर देकर,
दंश करते नाग का फिर क्या करोगे?
आज गाते हो प्रभाती नफरतों की,
कल विरोधी राग का फिर क्या करोगे?
बढ़ चुकी है जो मशाले घर जलाने,
तुम बरसती आग का फिर क्या करोगे?
आज खुश हो बेटियों की डोलियों पर,
कल मिटे सुहाग का फिर क्या करोगे?
तुम आज सच को बोलने से बच रहे हो,
झूठ के परित्याग का फिर क्या करोगे?
नफरतों का ज्ञान दोगे बचपने को,
चल रहे दिमाग का फिर क्या करोगे?
बस्तियों की आग का इल्जाम लेकर,
घर के इस चिराग का फिर क्या करोगे?
जब वो ईश्वर छीन लेगा सांस तुमसे,
इस धरा के भाग का फिर क्या करोगे?
© Nकुमार$ahab
Gunjan Kamal
24-Apr-2022 12:34 AM
बेहतरीन अभिव्यक्ति👏👌🙏🏻
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